आ की मेरी जान में क़रार नही है - मिर्ज़ा ग़ालिब
आ की मेरी
जान में क़रार नही है,
ताक़त-ए-बेदद-ए-इंतज़ार
नही है|
देते हैं
जन्नत हयात-ए-दहर के बदले,
नशा बा अंदाज़ा-ए-खुमार
नही है|
गिरिया निकले
है तेरी बाज़म से मुझ को,
हाय! के
रोने पे इख्तियार नही है|
हम से अबस
है गुमान-ए-रंजिश-ए-खातिर,
खाक में
उशशाक़ की गुबार नही है|
दिल से उठा
लुत्फ़-ए-जलवा हाय मानी,
गैर-ए-गुल
आईना-ए-बाहर नही है|
क़त्ल का
मेरे किया है अहद तो बारे,
वाए! अगर
अहद उस्तावर नही है|
तू ने क़सम
मैकशी की खाई है 'ग़ालिब',
तेरी क़सम
का कुछ ऐतबार नही है|
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