मंगलवार, 3 जनवरी 2017

मोको कहां ढूँढे रे बन्दे - कबीर

मोको कहां ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में|
ना तीरथ मे ना मूरत में, ना एकान्त निवास में||
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में|
मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में||

ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में|
ना मैं किरिया करम में रहता, नहिं जोग सन्यास में||
नहिं प्राण में नहिं पिंड में, ना ब्रह्याण्ड आकाश में|
ना मैं प्रकुति प्रवार गुफा में, नहिं स्वांसों की स्वांस में||

खोजि होए तुरत मिल जाउं, इक पल की तालास में|
कहत कबीर सुनो भई साधो, मैं तो हूं विश्वास में||

अगर आप भी अपनी रचनाओं को हम तक पहुँचाना चाहते है तो अपना नाम, संक्षिप्त स्व-जीवनी तथा अपनी कृतियाँ हमें नीचे दिए हुए संचार पते पर भेजे|

लेबल: ,

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ